छहढाला चौथी ढाल छंद-2

छहढाला चौथी ढाल सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान में भेद सम्यक् साथै ज्ञान होय, पै भिन्न अराधो। लक्षण श्रद्धा जान, दुहू में भेद अबाधो।। सम्यक् कारण जान,

छहढाला चौथी ढाल छंद-12

छहढाला चौथी ढाल देशव्रत नामक गुणव्रत का लक्षण एवं अनर्थ दंडव्रत ताहू में फिर ग्राम, गली गृह बाग बजारा। गमनागमन प्रमान ठान, अन सकल निवारा।।

छहढाला चौथी ढाल छंद-1

चौथी ढाल सम्यग्ज्ञान का लक्षण और समय सम्यक् श्रद्धा धारि पुनि, सेवहु सम्यक्ज्ञान। स्वपर अर्थ बहु धर्म जुत, जो प्रकटावन भान।।1।। अर्थ – पहले सम्यक्दर्शन धारण

छहढाला चौथी ढाल छंद-3

  चौथी ढाल सम्यग्ज्ञान के भेद, परोक्ष और प्रत्यक्ष का लक्षण तास भेद दो हैं परोक्ष, परतछि तिन माहीं। मति श्रुत दोय परोक्ष, अक्ष मनतें

छहढाला चौथी ढाल छंद-4

  चौथी ढाल सकल प्रत्यक्ष का लक्षण व ज्ञान की महिमा सकल द्रव्य के गुण अनन्त, परजाय अनन्ता । जानै एकै काल, प्रगट केवलि भगवन्ता

छहढाला चौथी ढाल छंद-5

चौथी ढाल ज्ञान की महिमा, ज्ञानी और अज्ञानी के कर्मनाश में अन्तर कोटि जन्म तप तपैं, ज्ञान बिन कर्म झरैं जे। ज्ञानी के छिनमाहिं, त्रिगुप्तितैं

छहढाला चौथी ढाल छंद-9

चौथी ढाल पुण्य-पाप में हर्ष-विषाद का निषेध पुण्य-पाप फलमाहिं, हरख बिलखौ मत भाई। यह पुद्गल परजाय, उपजि विनसैं फिर थाई।। लाख बात की बात यहै,

छहढाला चौथी ढाल छंद-10

चौथी ढाल सम्यक्चारित्र के भेद, अहिंसा और सत्य अणुव्रत के लक्षण सम्यग्ज्ञानी होय, बहुरि दिढ़ चारित लीजै। एकदेश अरु सकलदेश, तसु भेद कहीजै।। त्रस-हिंसा को

छहढाला चौथी ढाल छंद-11

  चौथी ढाल अचौर्य, ब्रह्मचर्य और परिग्रहपरिमाण अणुव्रतों का स्वरूप तथा दिग्व्रत का लक्षण जल मृतिका बिन और, नाहिं कछु गहैं अदत्ता। निजवनिता बिन सकल,