अमूढदृष्टि अंग में प्रसिद्ध रेवती रानी की कथा

सम्यकदर्शन के आठ अंगों में से चौथे अंग अमूढदृष्टि अंग में प्रसिद्ध व्यक्तित्व की कहानी विजयार्थ पर्वत की दक्षिण श्रेणी संबंधी मेघकूट नगर का राजा

उपगूहन अंग में प्रसिद्ध जिनेन्द्र भक्त सेठ की कथा

सम्यकदर्शन के आठ अंगों में से पांचवें उपगूहन अंग में प्रसिद्ध व्यक्तित्व की कहानी। सुराष्ट्र देश के पाटलिपुत्र नगर में राजा यशोधर रहता था। उसकी

स्थितिकरण अंग में प्रसिद्ध वारिषेण की कथा

सम्यकदर्शन के आठ अंगों में से छठे स्थितिकरण अंग में प्रसिद्ध व्यक्तित्व की कहानी मगधदेश के राजगृह नगर का राजा श्रेणिक था। उसकी रानी चेलिनी

वात्सल्य अंग में प्रसिद्ध विष्णुकुमार मुनि की कथा

सम्यकदर्शन के सातवें वात्सल्य अंग में प्रसिद्ध व्यक्तित्व की कहानी अवन्ति देश की उज्जयिनी नगरी में श्रीवमां राजा राज्य करता था। उसके बलि, बृहस्पति, प्रहलाद

प्रभावना अंग में प्रसिद्ध वज्रकुमार मुनि की कथा

सम्यकदर्शन के आठवें प्रभावना अंग में प्रसिद्ध व्यक्तित्व की कहानी। हस्तिनागपुर में बल नामक राजा रहता था। उसके पुरोहित का नाम गरुड़ था। गरुड़ के

सम्यक दर्शन के आठों अंगों की पालना से होती है कषायों की समाप्ति

मनुष्य के दो हाथ, दो पैर, नितम्ब, पीठ, उर, मस्तक यह आठ अंग हैं। इन आठ अंगों में से एक भी अंग नहीं हो तो

अंधविश्वास से परे होकर करें धर्म का पालन-अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर

बिना प्रयोजन जो लोक में प्रसिद्ध है, उन बातों को धर्म समझना पाप का कारण है। पुण्य और पाप मनुष्य की भावनाओं और बाहरी क्रियाओं

सांसारिक सुखों की चाह से आराधना करना पाप और मिथ्या- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

मनुष्य की सांसारिक सुखों की चाह अनंत है। उसकी लालसाएं निरंतर बढ़ती जाती हैं और इनकी पूर्ति की मंशा से ही वह भगवान की पूजा

गुरु हो हिंसा और परिग्रह से रहित- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

नदी पार करना हो तो नाविक अनुभवी चाहिए। अन्यथा नाव कहीं भी और कभी भी डूब सकती है। कहने का अभिप्राय है, जो स्वयं अनुभवी

अहंकार से नष्ट हो जाते हैं सभी गुण – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

पद्मपुराण में बताए गए रावण के जीवन चरित्र को पढ़ते हैं तो पाते हैं कि जितना ज्ञान, शक्ति, नाम, कुल, जाति, तप और शरीर आदि