01
Jul
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छहढाला
पांचवी ढाल
अनित्य भावना
जोवन गृह गोधन नारी, हय गय जन आज्ञाकारी । इन्द्रिय-भोग छिन थाई, सुर-धनु चपला चपलाई ॥3॥
अर्थ – जवानी, घर, गाय, भैंस, रुपया, पैसा, स्त्री, घोड़ा, हाथी, कुटुम्बीजन, नौकर-चाकर एवं पाँचों इन्द्रियों के भोग, इन्द्रधनुष और बिजली की चंचलता के समान क्षणभर रहने वाले हैं ।
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