22
Apr
छहढाला
पहली ढाल
मनुष्यगति में बाल्यावस्था, जवानी व वृद्धावस्था के दु:ख
बालपने में ज्ञान न लह्यो, तरुण समय तरुणी-रत रह्यो।
अर्धमृतक सम बूढ़ापनो, कैसे रूप लखै आपनो।।15।।
अर्थ – बालपन-लड़कपन में इस जीव को ज्ञान न मिला (अज्ञानी रहा)। जवानी में यह स्त्री में तल्लीन रहा और बुढ़ापा तो आधे मरे हुए के समान है ही। ऐसी दशा में यह जीव भला अपना आत्म-स्वरूप कैसे जान सकता है?
विशेषार्थ – मेरी आत्मा चैतन्यमयी, अखण्ड, अमूर्तिक एवं ज्ञान-दर्शन का पिण्ड है। इस प्रकार के स्वभाव की श्रद्धा आज तक नहीं हुई यही ‘‘कैसे रूप लखै आपनो’’ इस पंक्ति का विशेष भाव है।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]
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