छहढाला तीसरी ढाल छंद-3

तीसरी ढाल

व्यवहार सम्यग्दर्शन

जीव-अजीव तत्त्व अरु आस्रव, बन्धरु संवर जानो।
निर्जर मोक्ष कहे जिन तिनको, ज्यों का त्यों सरधानो॥
है सोई समकित व्यवहारी, अब इन रूप बखानो।
तिनको सुनि सामान्य-विशेषै, दृढ प्रतीति उर आनो॥3।।

अर्थ- जिनेन्द्र भगवान ने जीव,अजीव,आस्रव,बन्ध,संवर,निर्जरा और मोक्ष ये सात तत्त्व कहे हैं। उनका जैसे का तैसा श्रद्धान करना व्यवहार सम्यग्दर्शन है। इन तत्त्वों का स्वरूप सामान्य और विशेष रूप से वर्णन किया जाता है, उसे सुनकर मन में अटल विश्वास करना चाहिए।

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