दो विषयों पर वर्तमान में निर्णय की आवश्यकता है। समाज के विकास और धर्म की प्रभावना के लिए आज समाज और संतों को सर्वसम्मति से एकजुट हो कर इन पर निर्णय करना चाहिए। इन दोनों विषयों पर समाज की सभी संस्थाओं और संत समुदाय को एक हो जाना चाहिए। यह निर्णय अभी नही किया तो समाज और संत समुदाय के विभाजन को रोका नहीं जा सकेगा।
मैं जिन दो विषयों की बात कर रहा हूं वे ये हैं ..
पहला – संतो के आहार, विहार, निहारचर्या पर बोलने और लिखने के बजाए संतो के दीक्षा गुरुओं और संत समुदाय के वरिष्ठ संतो से बैठकर बात करें। ऐसा करने से ही समाधान निकलेगा और धर्म की अप्रभावना से बच सकेंगे।
दूसरा- सामाजिक स्तर के कार्यक्रमो में संतों को पूरी जिम्मेदारी समाज को दे देनी चाहिए। कार्यक्रम कैसा होगा, किस स्तर का होगा आदि के बारे में संत सिर्फ मार्गदर्शन करें, निर्णय समाज करें
आज हमें इन विषयों पर निर्णय करने की आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि स्पष्टता नहीं होने के कारण समाज का पैसा और समय दोनों ही व्यर्थ हो रहा है। इस पैसे का उपयोग अगर स्कूल, कॉलेज, कमजोर वर्ग के परिवार को व्यापार कराने में सहायता आदि में हो तो समाज और अधिक मजबूत होगा। यह मेरे विचार हैं। निर्णय तो सब को मिलकर ही करना है।
अनंत सागर
अंतर्मुखी के दिल की बात
छयालीसवां भाग
15 फरवरी 2021, सोमवार, बांसवाड़ा
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