कर भला, हो भला – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
दोपहर का वक्त था बारिश होने के आसार बन रहे थे। सड़क किनारे एक बुजुर्ग महिला उदास खड़ी थी। उस महिला की कार खराब हो गई थी और मौसम खराब होने के कारण कोई उसकी मदद के लिए रूक नहीं रहा था। तभी वहां से एक आदमी गुजरा जो देखने में थोड़ा गरीब लग रहा था। उस व्यक्ति ने बुजुर्ग महिला को देखा और उससे पूछा- क्या हुआ माता जी आप ठीक तो हैं?
पहले तो वह महिला उस व्यक्ति को देखकर थोड़ा घबरा गई। उसे यह डर लग रहा था कि सुनसान सड़क पर वह आदमी उसे लूट ना ले। उस व्यक्ति ने महिला कीघबराहट तुरंत समझ ली और कहा-घबराइए मत माताजी मैं पास के गैरेज में काम करता हूं। मेरा नाम दीपक है अगर आपको कोई मदद चाहिए तो मुझे बता सकती हैं।
महिला ने कहा मेरी गाड़ी खराब हो गई है। बारिश भी होने वाली है। मेरी तबीयत भी खराब हो जाएगी। क्या आप मेरी गाड़ी ठीक कर सकते हैं? दीपक मैकेनिक था, उसने कहा जी जरूर आप पेड़ के नीचे चली जाइए, मैं देखता हूं क्या दिक्कत है। दीपक ने 10 मिनट का समय लिया और गाड़ी ठीक कर दी। उसने महिला के पास जाकर कहा माता जी आपकी गाड़ी ठीक हो गई है अब आप इसे ले जा सकती हैं। उस महिला ने दीपक से उसकी मेहनत के पैसे पूछे तो दीपक ने कहा मां जी यह तो मैंने सिर्फ आपकी मदद करने की भाव से किया था, लेकिन फिर भी अगर आप कुछ करना चाहती हैं तो जब भी कोई आपको जरूरतमंद मिले तो उसकी मदद कर देना और मुझे याद कर लेना। यह कह दीपक अपने रास्ते को चल दिया। महिला भी गाड़ी स्टार्ट कर अपने रास्ते पर बढ़ गई। कुछ दूर जाने पर महिला एक रेस्टोरेंट के बाहर रूकी। महिला को भूख लगी थी। महिला एक टेबल पर जा कर बैठ गई। तभी उसका आर्डर लेने एक महिला वेटर आई जो करीब 7 से 8 महीने की गर्भवती थी। फिर भी उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी और वह महिला का आॅर्डर लेने के लिए खड़ी थी। उस महिला ने खाना खाया और ₹5000 की टिप उस वेटर को दी। वेटर इतना टिप देखकर चैंक गई। उस महिला ने वेटर से कहा कि बेटी जब भी हो सके तो तुम किसी जरूरतमंद की मदद कर देना। उस वेटर को पता चला कि यह महिला बेहद अमीर है और अकेले रहती है। महिला वेटर 5000 रुपय की टिप पा कर बहुत खुश थी। रात में घर पहुंचने पर उसने अपने पति को गले लगा कर कहा कि दीपक, अब हमें हॉस्पिटल के बिल की चिंता करने की जरूरत नहीं है। एक भली औरत ने आज मुझे 5000 रुपए की टिप दी है और हमारे पास जो पैसे कम पड़ रहे थे वो पूरे हो गए हैं। अब हम डिलीवरी अच्छे से करवा सकते हैं। यह सुनकर दीपक बहुत खुश हुआ लेकिन उसे ये एहसास नहीं हुआ कि जिस महिला की उसने मदद की थी उसी महिला ने उसकी पत्नी को यह टिप दी है।
इस कहनी सार यही है कि दूसरों का अच्छा करोगे तो आपका भी अच्छा ही होगा। हमेशा दूसरों की मदद करें, अच्छे कर्म करें, आपको इसका अच्छा फल ही मिलेगा।
अनंत सागर
कर्म सिद्धांत
(सत्ताईसवां भाग)
3 नवम्बर, 2020, मंगलवार, लोहारिया
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
(शिष्य : आचार्य श्री अनुभव सागर जी)
