श्रद्धा, आस्था और विश्वास पर जब चोट पहुँचती है तो रोष का सैलाब उमड़ता है। कुछ समय से हम देख रहे हैं कि मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, संतों की निंदा हो रही है। मुनि धर्म की रक्षा और उनकी चर्या का निर्विघ्न पालन कराने के लिए दो संस्थाओं का जन्म हुआ। एक मुनि सेवा वैय्यावृत्ति समिति जो महासभा के अंतर्गत कार्य कर रही है और दूसरी संस्था अखिल भारतीय दिगम्बर जैन मुनि धर्म रक्षा समिति है। एक संस्था और है णमो लोए सव्वसाहूणं परिवार।
यह समाज के लिए एक शुभ संकेत है। इन संस्थाओं के संकल्प से लगता है कि अब मुनियों के आहार, विहार और निहार में कोई समस्या नही आएगी। इन तीनों संस्थाओं को कुछ सुझाव हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसा वाॅट्सएप नम्बर दें, जिस पर समाज के लोग अपने सुझाव दे सकें। समाज के शिविरों का आयोजन करंे या सोशल मीडिया के माध्यम से मुनिधर्म और मुनि सेवा का महत्व बताएं। ऐसे धार्मिक पाठ्यक्रम बनाएं, जिनका अध्ययन करवाया जा सके। जो श्रावक मुनियों के चैके लगाते रहते है, उनका राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान समारोह हो। गांव- गांव तक यह संदेश पहुंचाया जाए और उनका उत्साह वर्धन करें। इसके साथ ही आस-पास 10-15 किलोमीटर तक कोई मुनि संघ हो तो उन्हें अपने नगर-गांव में आने का निमंत्रण दें। इसके अलावा मुनि संघो की जानकारी एक जगह उपलब्ध करवाएं। सामाज में ऐसे लोगो को ढूंढे जो मुनि सेवा के लिए सदैव तैयार रहते हैं, ताकि उनका समय-समय पर साधुओं के आहार, विहार और निहार में सहयोग लिया जा सके। भविष्य में एक साधु क्षेत्र भी बने जहां साधु अपने अंतिम समय में निर्विकल्प समाधिमरण कर सकें।
अनंत सागर
अंतर्मुखी के दिल की बात
(चालीसवां भाग)
4 जनवरी, 2021 सोमवार, बांसवाड़ा
‘मुनि धर्म की रक्षा के लिए संस्थाएं बनना शुभ संकेत’
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
(शिष्य : आचार्य श्री अनुभव सागर जी)
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