दुनिया में हम महापुरुषों की प्रेरणा देने वाली कहानियां, विचार, उनके जीवन के प्रसंग आदि पढ़ते हैं, पर हमें उनके जीवन के विचारों, अनुभवों के साथ ही उनके समर्पण, त्याग आदि पर भी नजर डालनी चाहिए। एकांत में बैठकर सोचना चाहिए जिन्होंने हमें जन्म दिया, यह खूबसूरत दुनिया दिखाई है उनके इन अनुभवों, समर्पण से ही हमारा जीवन महान बन जाता है। एक बार हम अपने अतीत अर्थात बचपन में जाएं। उस समय माता-पिता का हमारे प्रति प्रेम याद करें तो पाएंगे कि उनका एक-एक पल हमारे लिए प्रेरणा देने वाला था। जब हम गर्भ में आए तो माता का भोजन, बैठना, सुनना आदि सब बदल गया था और तो और घर के रंग, दीवारों के चित्र तक बदल गए थे। जो हमारे लिए अच्छा हो वही मां करती थी। जन्म के बाद जब हम छोटे थे तो कितनी बार मां की गोद को गीला किया होगा। कितने दिनों तक रात रात भर रोये होंगे और हमें चुप करवाने के लिए मां रात भर इधर-उधर हमे लेकर घूमी होगी।
हमें याद करना चाहिये कि कितनी बार मां ने हमारे लिए आस-पास वालों, पिता, टीचर, परिवार के सदस्यों से हमारी गलती को छिपाने के लिए झूठ बोला होगा। मां को पता है कि हमने गलती की है फिर भी उसने सब के सामने हमारा पक्ष लिया होगा। हमारी जरूरत को पूरा करने के लिए मां ने अपनी बचत के पैसो को खर्च कर दिया होगा। अच्छी शिक्षा के लिए पिता कितने स्कूल, कॉलेज में घुमें होंगे। कितनों के सामने अपना सिर झुकाया होगा। एक अच्छी नौकरी, पति, पत्नी हमें मिल जाए उसके लिए कितनी बार प्रभु से प्रार्थना की होगी उसकी गिनती ही नहीं है। यह सब हमें प्रेरणा लेने के लिए है। दुनिया में प्रेरणा का सागर है तो माता-पिता ही हैं। उनके त्याग, समर्पण आदि में स्वार्थ नहीं होता है। इसलिए जीवन में सफलता के लिए सब से अधिक प्रेरणा देने वाले प्रसंग और अनुभव जो माता पिता से मिल सकते हैं वह और कहीं, किसी किताब में पढ़ने को नहीं मिल सकते हैं।
अनंत सागर
प्रेरणा
(अट्ठाईसवां भाग)
12 नवम्बर, गुरुवार 2020, लोहारिया
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
(शिष्य : आचार्य श्री अनुभव सागर जी)
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