11 Jul By admin 0 Comment In श्रावक श्रावक – श्रावक:-‘पाप कर्म के नाश के लिए दया धर्म जरूरी है’- अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
11 Jul By admin 0 Comment In शांति कथा शांति कथा – भाग सोलह : दूसरों की अंतर्वेदना दूर करने के लिए सदैव तत्पर रहते थे सातगौड़ा – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
11 Jul By admin 0 Comment In शांति कथा शांति कथा – भाग अठारह : सहभोजन आदि से आत्मा का उत्थान मानना भ्रम मानते थे आचार्य शांतिसागर जी – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
11 Jul By admin 0 Comment In शांति कथा शांति कथा – भाग अडतालीस : जिनेंद्र भगवान की वाणी में विश्वास न होने से ही मिलती है विफलता-आचार्य शांतिसागर महाराज
11 Jul By admin 0 Comment In रावण रावण – भाग आठ : मैं रावण… कुलधर्मी, सच्चा क्षमाधर्मी! – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज