कर्मसिद्धांत : कर्म ही हैं जो बुद्धि फिरा देते हैं – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज6 Apr at 4:27 pmराम और रावण का युद्ध होना था। उसके एक दिन पहले रावण और उसकी धर्म पत्नी मन्दोदरी की आपस में…
कर्म सिद्धांत : कर्म के उदय से बदलते हैं मनुष्य के भाव – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज30 Mar at 12:05 pmपद्मपुराण के पर्व 72 में रावण और सीता के संवाद से लगता है कि कर्म के उदय से क्षणभर में…
कर्म सिद्धांत : सामने वाला भले ही कमजोर हो पर कर्म बलवान होते हैं – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज23 Mar at 12:34 pmकभी किसी को कमजोर समझकर पीड़ा, कष्ट नहीं देनी चाहिए। चाहे वह कमजोर हो पर कर्म बलवान होते हैं वह…
कर्म सिद्धांत : कर्मों के खेल निराले – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज16 Mar at 12:51 pmमहलों में सोने वाला वन-वन भटकता है। संगीत की आवाज सुनकर उठने वाले की नींद क्रूर जानवरों की आवाज सुनकर…
कर्म सिद्धांत : अपनी कुल नगरी वापस पाने के लिये रावण ने की दिग्विजय – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज9 Mar at 1:28 pmपद्मपुराण में एक प्रसंग है जिसमें रावण ने राजा इंद्र को जीता और अपनी कुल परंपरा से चली आ रही…
कर्म सिद्धांत : कर्म किसी को छोड़ता नहीं – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज2 Mar at 1:43 pmपद्मपुराण में रावण के जीवन का एक प्रसंग आता है। आप सब जानें और कर्म के महत्व को समझें। रावण…
कर्म सिद्धांत : निर्मल भाव से ही होते है अच्छे कर्म – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी23 Feb at 5:35 pmनिर्मलभाव को धारण करने वाला ही अच्छे कर्म कर सकता है। अच्छे कर्म से मतलब आपके कार्य से किसी को…
कर्म सिद्धांत : वैरभाव का दुख कई भवों तक भोगना पड़ता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी16 Feb at 3:11 pmवैरभाव अनेक जन्मों तक दुःख का कारण बनता है। पद्मपुराण के पर्व 5 में वैरभाव के फल को बताने वाली…
कर्म सिद्धांत : कर्म का फल अवश्य मिलता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी9 Feb at 4:49 pmयह बात सभी जानते हैं कि जब श्रीराम वनवास का समय व्यतीत कर रहे थे तो जटायु नाम का पक्षी…
कर्म सिद्धांत : कर भला तो हो भला – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज2 Feb at 1:35 pmजो जीव किसी का अच्छा करता है तो बदले में उसे अच्छाई ही मिलती है। वहीं जो जीव किसी का…