श्रावक : आहार दान से उत्तम कोई दान नहीं है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज7 Apr at 12:57 pmअमितगति कृत श्रावकाचार में आहार दान का महत्व बताते हुए कहा है कि जैसे सूर्य के बिना दिन नही हो…
श्रावक : स्वयं को शुद्ध कर जाप करें – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज31 Mar at 1:28 pmकर्म निर्जरा और आत्मशांति के लिए श्रावक जाप करते हैं। जाप करने से पहले हाथ और शरीर के अंगों की…
श्रावक : आहार दान ऐसे करना चाहिए – अंतर्मुखी मुनि पूज्यसागर जी24 Mar at 12:57 pmरत्नकरण्डश्रावकाचार श्लोक संख्या 113 में बताया गया है कि आहार दान देते समय श्रावक (धर्मात्मा) को क्या सावधानी रखनी चाहिए।…
श्रावक : जैन दर्शन में ये है शास्त्र के चार रूप – अंतर्मुखी मुनि पूज्यसागर जी17 Mar at 12:58 pmहम जो पढ़ते हैं वह जिसने लिखा है उस पर श्रद्धा होने के बाद उसे पढ़ने से कर्मो की निर्जरा…
श्रावक : जो श्रावक बन धर्म-ध्यान करता है उसे सब खुशियां मिलती हैं – अंतर्मुखी मुनि पूज्यसागर जी10 Mar at 1:40 pmचारों गति में मनुष्य गति श्रेष्ठ है। मनुष्यभव में जन्म लेकर जो संस्कारों के माध्यम से श्रावक बनकर धर्म ध्यान…
श्रावक : धर्म के साथ जीने वालों के लिए कुछ भी असाध्य नहीं – अंतर्मुखी मुनि पूज्यसागर जी3 Mar at 2:14 pmमनुष्य जन्म के बाद जो धर्म के साथ अपना जीवन व्यतीत करता है उसे संसार के सारी खुशी मिलती है।…
श्रावक : व्यसनों से मिलने वाले दुःख का वर्णन नहीं किया जा सकता – अंतर्मुखी मुनि पूज्यसागर जी24 Feb at 1:51 pmएक व्यसन के प्रभाव से भी मनुष्य अनेक दु:ख भोगता है तो फिर जो सातों व्यसन करता है उसे जो…
श्रावक : जय जयकार से ही पुण्य का संचय – अंतर्मुखी मुनि पूज्यसागर जी17 Feb at 4:33 pmनिर्मल भावों से जिनेन्द्र भगवान के नाम का उच्चारण और जय जयकार करने मात्र से ही सम्पूर्ण कर्मो का नाश…
श्रावक : शाश्वत सुख संयम से ही – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी10 Feb at 3:18 pmभोगमरण का कारण है और पांचों इन्द्रियों भोग का कारण हैं। इस संबंध में एक प्रसंग पद्मपुराण के 5वें पर्व…
श्रावक : इच्छाओं पर अंकुश रखें, पूण्य का संचय करें – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज3 Feb at 12:12 pmमनुष्यों को सदैव अपनी इच्छा के परिमाण समझने चाहिए। इस बात का स्मरण रहे कि इच्छाएं ही दु:ख का कारण…