चिंतन

अड़तालीसवां दिन : पुरानी और आने वाली बातों में न उलझें – अंतर्मुखी पूज्य सागर जी महाराज

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मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 48वां दिन। इंसान जब भविष्य की सोचता है, भूत का स्मरण…

सैतालिसवां दिन : इंसान की पहचान उसकी इंसानियत – अंतर्मुखी पूज्य सागर जी महाराज

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मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 47वां दिन। विवाद में नहीं सुलह में, तर्क में नहीं जिज्ञासा…

पैतालिसवां दिन : भोजनशाला को दूषित होने से बचाना जरूरी – मुनि पूज्य सागर महाराज

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मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 45वां दिन। भारतीय संस्कृति में इंसान की पहचान उसके आचरण से…

चवालीसवां दिन : संक्लेश भाव से न करें धार्मिक अनुष्ठान – मुनि पूज्य सागर महाराज

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मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 44वां दिन। धार्मिक कार्यों में  अपने- अपने मनमुटाव या धार्मिक अनुष्ठान…

तियालीसवां दिन : नाम का नहीं, गुणों का सम्मान – मुनि पूज्य सागर महाराज

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मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 43वां दिन। मां-बाप अपने बच्चे का नाम, व्यापारी अपनी दुकान का…

ब्यालीसवां दिन : गृहस्थ के संपर्क से साधु के संयम में बाधाएं – मुनि पूज्य सागर महाराज

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मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 42वां दिन। आज चिंतन में अनुभव भी हुआ और मैंने भी…

इकतालीसवां दिन : सभी प्राणियों को अपना मानने की जरूरत – मुनि पूज्य सागर महाराज

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मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 41वां दिन। मैं शुद्ध हूं, निर्मल हूं पर कर्मों के कारण…
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