बच्चों पाठशाला में आज एक सच्ची घटना बता रहा हूं। यह कहानी तुम्हें धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ने की प्रेरणा देगी। इस प्राचीन घटना को पढ़ने के बाद तुम्हें समझ मे आ जाएगा कि हमारी छोटी छोटी बातों या गलतियों से हमें आने वाले समय कैसे-कैसे संकट सहने पड़ते हैं।
एक बालक अपनी मां से कह रहा था कि मुझे वन घूमने जाना है। मां कह रही थी कि अभी मत जा घर पर मुनिराज आने वाले है, उनको आहार देकर, वंदना कर वन को चले जाना। बच्चा जिद्दी था। उसने मां की एक नही सुनी और अपने दोस्तों के साथ वन घूमने चला गया। अगले भव में वह बच्चा एक बहुत प्रतापी राजा बने। पूरा संसार उनका सम्मान करता था। वह प्रतापी राजा आगे चलकर भगवान बन गए। सब के वंदनीय बन गए लेकिन भगवान बनने से पहले उन्हें काफी कष्ट भी उठाने पड़े। उन्हें वन जाना पड़ा, वन से उनकी पत्नी को एक राजा हरण कर ले गया।
बच्चों हम बात कर रहे हैं श्रीराम की। राजा होने के बावजूद उन्हें वन-वन भटकना पड़ा, क्योंकि पूर्व जन्म में मुनि के दर्शन, आहार से अधिक महत्व उन्होंने वन घूमने को दिया। सब सुख और साधन होने के बाद भी उन्हें जीवन में बहुत लम्बे समय तक कष्ट उठाने पडे। रावण उनकी पत्नी सीता का हरण कर ले गया। राम और सीता का वियोग हो गया। इसलिए इस घटना से शिक्षा लेना कि धार्मिक अनुष्ठान छोड़कर अन्य और कोई कार्य नही करोगे। पहले धार्मिक अनुष्ठान को महत्व दोगे।
अनंत सागर
पाठशाला
(तेतीसवां भाग)
12 दिसम्बर 2020, शनिवार, बांसवाड़ा
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
(शिष्य : आचार्य श्री अनुभव सागर जी)
12
Dec
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