तीर्थंकर भगवान जहां बैठकर धर्मोपदेश देते हैं उसे समवशरण कहते हैं। उस समवसरण में 12 कोठे (स्थान) होते हैं जिनमें अलग-अलग जीव बैठकर धर्मोपदेश का लाभ लेते हैं। पद्मपुराण पर्व 2 में 12 कोठों में बैठने वालों की जानकारी दी गई है।
पहले कोठे में गणधर परमेष्ठि सहित मुनिराज बैठते हैं। दूसरे कोठे में कल्पवासी देवों की देवियां, तीसरे कोठे में आर्यिका माता जी, चैथे कोठे में ज्योतिषी देवों की देवियां, पांचवें कोठे में व्यन्तर देवों की देवियां, छठे कोठे में भवनवासी देवों की देवियां, सातवें कोठे में ज्योतिषी देव, आठवें कोठे में व्यन्तर देव, नौवें कोठे में भवनवासी देव, दसवें कोठे में कल्पवासी देव, ग्यारहवें कोठे में मनुष्य और बारहवें कोठे में तिर्यंच बैठकर तीर्थंकर भगवान का धर्म उपदेश सुनते हैं।
अनंत सागर
पाठशाला
तेतालीसवां भाग
20 फरवरी 2021, शनिवार, बांसवाड़ा
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