मनुष्य जन्म के बाद जो धर्म के साथ अपना जीवन व्यतीत करता है उसे संसार के सारी खुशी मिलती है। वह शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और आगन्तुक दुःखों से बच जाता है।
पद्मपुराण के पर्व 14 में लिखा है कि मनुष्य धर्म के प्रभाव से इतना शक्तिशाली हो जाता है कि वह तीन लोक की हर वस्तु को प्राप्त कर सकता है। धर्म के प्रभाव से ज्योतिश्चक्र को उठा सकता है। धर्म के प्रभाव से भयंकर बीमारियों को शांत कर सकता है। जिसका धर्म पूर्वक मरण होता है वह जीव सौधर्म इन्द्र आदि पर्यायों में जन्म लेता है। धर्म के प्रभाव से मनुष्य का जन्म महलों, स्वर्ण, स्फ़टिक, वैडूर्य, मणिमय खंभों के समूह से बने हुए ऐसे भवनों में होता है जिनकी फर्श पद्मराग मणि, दधिराग, मधुराग आदि चित्र-विचित्र मणियों से बनी होती है। धर्म धारण करने वाला मनुष्य ऐसे विमानों आदि में उत्पन्न होते हैं जो वादित्र आदि संगीत के सहित होते है। इच्छानुसार गमन कर सकते हैं, उत्तम परिकर सहित होते है, कमल आदि साम्रगी से सहित होते हैं। ऊर्ध्वलोक, मध्यलोक, अधोलोक में उपभोक्ताओं को जो भी सुख मिलता है वह धर्म के प्रभाव से ही मिलता है।
और तो और धर्म से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। कुल मिलाकर धर्म के साथ जीवन व्यतीत करने वाले के लिए कोई भी कार्य असाध्य नही हैं।
अनंत सागर
श्रावक
चवालीसवां भाग
3 मार्च 2021, बुधवार, भीलूड़ा (राजस्थान)
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