चलो एक बार पुरुषार्थ करें और एक श्रृंखला बनाएं। एक दूसरे को जोड़ें और स्वाध्याय की चर्चा करें। चर्चा करने से कई रास्ते खुलते हैं, तो फिर स्वाध्याय की परम्परा का रास्ता क्यों नही खुलेगा? हम आपस में कई प्रकार के ग्रुप बनाते हैं, जिसके माध्यम से सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक और मौज मस्ती की चर्चा करते हैं। तो क्यों नही एक बार अपने और अपने परिवार के वर्तमान और भविष्य की सुख, शांति और समृद्धि की चर्चा के लिए एक ग्रुप बनाएं और अहिंसा प्रेमी महावीर को मानने वालों को इससे जोड़ें। आज हम देखते भी हैं कि इस प्रकार के संगठन, या ग्रुप नहीं के बराबर हैं। कहीं चार व्यक्ति खड़े भी होंगे तो स्वाध्याय की चर्चा नहीं के बराबर होती है। हम चाय, पार्टी के नाम पर हर 8 दिन, 15 दिन में एक जगह एकत्रित हो जाते हैं लेकिन वहां पर भी स्वाध्याय की छोड़कर हर तरह की चर्चा हो जाती है.…तो क्या हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए स्वाध्याय की चर्चा नही कर सकते हैं?
तुम अपने दिल से पूछना कि जब हमें दुःख, डर और भय लगता है तो हम परमात्मा को याद करते हैं… तो फिर क्यों नहीं हम सुखी जीवन मे भी स्वाध्याय के साथ धर्म की चर्चा के लिए एक श्रृंखला बनाएं, जिससे हमें और दूसरों को भी लगे कि यह सभ्य व्यक्ति है, इनका परिवार भी सभ्य है। हम यह कहकर पीछे नहीं हटें कि यह सम्भव नहीं है या कोई जुड़ना नहीं चाहता बल्कि यह सोचकर श्रृंखला बनाएं और जुड़े और दूसरों को जोड़ें कि कोई भी कार्य असम्भव नहीं है। जो धर्म के साथ किया गया है वह कार्य आवश्य ही एक दिन रंग लाएगा।
स्वाध्याय की श्रृंखला बनने से हमें अपने संस्कार, संस्कृति को जानने का अवसर मिलेगा, हमारी भाषा सुधरेगी, सकारात्मक सोच आएगी, ज्ञान बढ़ेगा, दुःख को सहन करने की शक्ति मिलेगी और साथ ही हम अपने आप को पहचानकर अपनी पहचान बनाएंगे।
तो चलो करें शुरुआत… ।
हमने शुरुआत की है और अभी तक 57 लोगो को जोड़ा भी है । आप भी इस स्वाध्याय की श्रृंखला से जुड़ना चाहते हैं तो हम से जुड़े 9460155006 पर SMS करें अन्यथा आप स्वयं अपनी स्वाध्याय की श्रृंखला बनाकर हमें सूचना दें।
अनंत सागर
अंतर्मुखी के दिल की बात
बावनवां भाग
29 मार्च 2021, सोमवार, भीलूड़ा (राजस्थान)
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