मनुष्य को अशुभ वचन और बिना प्रयोजन नही बोलना चाहिए। जो मनुष्य इस प्रकार की प्रवृत्ति रखता है वह संकट में पड़ जाता है और कभी कभी तो अपनी जान भी गंवा देता है।
पद्मपुराण के पर्व अस्सी में प्रसंग आया है कि एक बार एक विदेशी मनुष्य भूख से पीड़ित था। वह घूमते-घूमते गांव की भोजनशाला में पहुंचा। वहां भोजन नहीं मिला तो क्रोधित हो गया। उसके मुख से यह कटुक शब्द निकल गया कि मैं गांव को आग लगा दूंगा। भाग्य की बात उसी दिन गांव में आग लग गई। क्रोध के वशीभूत होकर गांव वालों ने उस विदेशी मनुष्य को उसी अग्नि में डाल दिया जिससे वह दुख पूर्वक मरण को प्राप्त हुआ।
तो देखा कटुक शब्द बोलने से क्या हुआ, इसलिए मनुष्यों को व्रत ग्रहण करना चाहिए कि कैसी भी परिस्थिति हो कभी भी किसी के लिए कटुक शब्द का उपयोग नही करेंगे। व्रत, नियम से ही मनुष्य का कल्याण संभव है। कोरोना महामारी में कटुक शब्द बोलने के बजाए मधुर वचन बोल कर एक दूसरे के सहयोग की भावना के साथ आगे बढ़कर श्रावक धर्म (धर्मात्मा मनुष्य) के कर्त्तव्य का पालन कर मानवता की मिसाल कायम करें और मनुष्य होने का परिचय दें।
अनंत सागर
श्रावक ( चौपनवां भाग )
12 मई , 2021, बुधवार
भीलूड़ा (राज.)
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