10
Jun
तीसरी ढाल
सम्यग्दृष्टि मर कर कहाँ -कहाँ पैदा नही होता ? और सम्यक्त्व की महिमा
प्रथम नरक बिन षट् भू ज्योतिष, वान भवन षंढ नारी।
थावर विकलत्रय पशु में नहिं, उपजत सम्यक् धारी।।
तीनलोक तिहुँ काल माहिं नहिं, दर्शन सो सुखकारी।
सकल धरम को मूल यही, इस बिन करनी दु:खकारी।।16।।
अर्थ – सम्यक्त्वी जीव पहले नरक के सिवाय शेष छ: नरकों में, ज्योतिषी-व्यन्तर-भवनवासी देवों में, नपुंसकों में, स्त्रियों में, स्थावरों में, दो इन्द्रिय-त्रि इन्द्रिय-चतुरिन्द्रिय जीवों में तथा पशु-पर्याय में जन्म धारण नहीं करता है। तीनों लोकों और तीनों कालों में सम्यग्दर्शन के समान अन्य कोई भी सुख देने वाला नहीं है। सब धर्मों की जड़ यही है। बिना सम्यग्दर्शन के सभी क्रियाएँ संसार भ्रमण का ही कारण है।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]
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