भीलूड़ा/ डूंगरपुर । भीलूड़ा में चातुर्मासरत अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज ने 54 दिन बाद मंगलवार काे अन्न का आहार किया। इसी उपलक्ष्य में भीलूड़ा में साधना महाेत्सव मनाया गया। आचार्य अनुभव सागर महाराज के प्रथम शिष्य मुनि पूज्य सागर महाराज की तरफ से 48 दिन की माैन साधना के साथ 24 दिन का उपवास व 24 दिन अन्न का त्याग रहा। 54 दिन बाद मंगलवार काे अन्न आहार करने से पहले पडगाहन हुआ। इस दाैरान इनके गुरु आचार्य अनुभव सागर महाराज स्वयं आहार चर्या के दाैरान माैजूद रहे। वहीं स्वयंभू सागर महाराज भी माैजूद रहे। इस दाैरान सागवाड़ा से प्रेरणा शाह, उषा जैन, तुष्टि दीदी, आदिश खाेडनिया आदि माैजूद रहे। आचार्य ने अनुभव सागर महाराज ने कहा कि विश्वास और आचरण प्रकाश और ऊष्मा की तरह होता है। जहां प्रकाश है वहां ऊष्मा अवश्य होती है। उसी तरह जिसके हृदय में विश्वास होगा तो वह विश्वास उसके आचरण में भी अवश्य दिखाई देगा। श्रद्धाहीन को भगवान भी धातु और पत्थर के दिखाई देते हैं जबकि श्रद्धावान को पत्थर में भी भगवान दिखते हैं। श्रद्धा ही तो है जो हमे अदृश्य अमूर्त आत्म तत्व की और बढ़ने और इस कठिन मार्ग पर चलने का साहस देती है। आचार्य ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी धर्म के वास्तविक रूप को नई समझ कर उससे दूर हो रही है क्योंकि जब वह धर्मात्मा के व्यवहार में परिवर्तन नहीं देखते तो उन्हें व्यक्ति से नहीं धर्म से अलगाव हो जाता है। मंदिर से निकलने वाले व्यक्ति की जिम्मेदारी कई गुना बढ़ जाती है क्योंकि मन्दिर से निकलकर उसका व्यवहार बहुतायत व्यक्तियों की धर्म के प्रति आस्था को बढ़ा भी सकता हैं और घटा भी सकता है।
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