11
Jul
छहढाला
चौथी ढाल
सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान में भेद
सम्यक् साथै ज्ञान होय, पै भिन्न अराधो।
लक्षण श्रद्धा जान, दुहू में भेद अबाधो।।
सम्यक् कारण जान, ज्ञान कारज है सोई।
युगपत् होते हू प्रकाश, दीपकतैं होई।।2।।
अर्थ – यद्यपि सम्यक्दर्शन के साथ ही सम्यक्ज्ञान होता है, फिर भी दोनों अलग -अलग है । क्यों कि सम्यक्दर्शन का लक्षण है श्रद्धा और सम्यक्ज्ञान का लक्षण है जानना। इस प्रकार इन दोनों में लक्षण भेद (बाधा-रहित) है। सम्यक्दर्शन को ‘कारण’ समझो और उसका ‘कार्य’ सम्यक्ज्ञान है। दोनों एक समय एक साथ उत्पन्न होते हुए भी कारण-कार्य के भेद से भिन्न-भिन्न हैं। जैसे दीपक के जलने के साथ प्रकाश होता है, तो भी दीपक को प्रकाश का कारण माना जाता है।
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