छहढाला दूसरी ढाल बंध और संवर तत्त्व का विपरीत श्रद्धान शुभ-अशुभ बंध के फल मँझार, रति-अरति करै निज पद विसार। आतम-हित हेतु विराग-ज्ञान, ते लखैं आपको कष्ट दान।।6।। अर्थ –
छहढाला दूसरी ढाल मिथ्यादृष्टि की मान्यताएँ मैं सुखी-दु:खी मैं रंक राव, मेरे धन गृह गोधन प्रभाव। मेरे सुत-तिय मैं सबल दीन, बेरूप सुभग मूरख प्रवीन।।4।। अर्थ – मिथ्यादृष्टि जीव मिथ्यादर्शन
छहढाला चौथी ढाल प्रमादचर्या, हिंसादान और दु:श्रुति अनर्थदण्ड त्यागव्रतों का स्वरूप कर प्रमाद जल भूमि, वृक्ष पावक न विराधै। असि धनु हल हिन्सोपकरण, नहिं दे यश लाधै।। राग-द्वेष-करतार, कथा कबहूँ
मुनि निंदा बनती है जीवन में अनेक दुखों का कारण-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज -अशोक नगर स्थित श्रीशांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर(कांच मंदिर) में हुआ अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज
छहढाला चौथी ढाल सम्यग्ज्ञान का महत्व और विषय चाह रोकने का उपाय जे पूरब शिव गये, जाहि, अब आगे जै हैं। सो सब महिमा ज्ञानतनी, मुनिनाथ कहै हैं।। विषय-चाह दव-दाह,