एक राजा था। उसने अपने मन्त्री को बुलाकर कहा कि हम सब के पास करने के लिए कुछ न कुछ निश्चित काम होते हैं। जैसे एक राजा अपनी प्रजा के लिये काम करता है, एक सैनिक अपने देश के लिये युद्ध लड़ता है, व्यापारी अपने व्यापार को बढाने के लिये प्रयत्न करता है, एक शिक्षक विद्यार्थी को पढाता है, गुरु अपने शिष्यों को उपदेश देता है आदि-आदि लेकिन क्या तुम बता सकते हो कि ईश्वर का प्रमुख कार्य क्या है? मंत्री परेशान हो गया। थोड़ी देर सोचने के बाद उसने कहा कि मेरा कर्तव्य आपको सांसारिक मुद्दों पर सलाह देना है, यह एक आध्यात्मिक प्रश्न है और इसका सही उत्तर हमारे धर्म गुरु ही दे सकते हैं।
जब राजा ने धर्म गुरु से यही प्रश्न किया तो धर्म गुरु ने राजा से एक सप्ताह का समय माँगा। एक सप्ताह समाप्त हो गया और अंतिम दिन तक धर्म गुरु को कोई उचित उत्तर नहीं मिला। अंतिम दिन धर्म गुरु यही सोच रहे थे कि उत्तर मिला नहीं और अब उन्हे राजा के क्रोध का सामना करना पड़ेगा। इसी दौरान वहां से गुजर रहे एक चरवाहे ने धर्म गुरु को परेशान देखा तो उनसे उनकी परेशानी का कारण पूछा। धर्म गुरु ने उसे अपनी परेशानी बताई। चरवाहे ने गुरु से कहा कि आप राजा के पास मुझे ले चलिए और राजा से कहिए कि यह चरवाहा आपके सवाल का जवाब देगा।
धर्म गुरु चरवाहे को अपने साथ दरबार में ले गए और राजा से कहा कि यह चरवाहा इसका उत्तर देगा। आश्चर्य चकित राजा ने चरवाहे से जवाब मांगा। चरवाहे ने राजा से अनुरोध किया कि दरबार में उचित नियमो का पालन किया जाए। मै आपको ज्ञान दे रह हूँ इसलिए मै आपका गुरु हूँ। गुरु छात्र की तुलना मे सदैव ऊँचे स्थान पर बैठते हैं। राजा पहले हिचकिचाया लेकिन उसे जवाब जानने की जल्दी थी अतः वह अपने सिंहासन से नीचे आ गया और चरवाहा सिंहासन पर बैठ गया। राजा को चरवाहे पर क्रोध आ रहा था वह चिल्ला कर बोला चरवाहे मेरे प्रश्न का जवाब दो कि भगवान क्या काम करता है? चरवाहे ने शान्ति से जवाब दिया, मैं सिंहासन पर हूं और आप नीचे हैं। घमंडी को नीचे करना और विनम्र व बुद्धिमान को उच्च स्थान प्रदान करना यही भगवान का मुख्य काम है। चरवाहे का जवाब सुन कर राजा का क्रोध गायब हो गया और उसने चरवाहे को हाथ जोड़ कर प्रणाम किया।
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