15
Jun
चौथी ढाल
सम्यग्ज्ञान के भेद, परोक्ष और प्रत्यक्ष का लक्षण
तास भेद दो हैं परोक्ष, परतछि तिन माहीं।
मति श्रुत दोय परोक्ष, अक्ष मनतें उपजाहीं।।
अवधिज्ञान, मनपर्जय, दो हैं देश-प्रतच्छा।
द्रव्य-क्षेत्र परिमाण लिये, जानैं जिय स्वच्छा ।।3।।
अर्थ – सम्यक्ज्ञान के दो भेद हैं-1. परोक्ष 2. प्रत्यक्ष । मति और श्रुत ये दोनों परोक्ष ज्ञान हैं ,क्योंकि ये दोनों पाँच इन्द्रिय और मन की सहायता से होते हैं। अवधिज्ञान व मन:पर्ययज्ञान दोनों देश प्रत्यक्ष है, क्योंकि इनसे जीव,द्रव्य क्षेत्र काल भाव की मर्यादा लिये हुए रूपी पदार्थ को स्पष्ट जानता हैं ।
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