16
Jun
चौथी ढाल
सकल प्रत्यक्ष का लक्षण व ज्ञान की महिमा
सकल द्रव्य के गुण अनन्त, परजाय अनन्ता ।
जानै एकै काल, प्रगट केवलि भगवन्ता ।।
ज्ञान समान न आन, जगत में सुख को कारन।
इहि परमामृत जन्म-जरा-मृतु रोग निवारन।।4।।
अर्थ – जो ज्ञान छहों द्रव्यों के तीनों कालों और तीनों लोकों में होने वाले समस्त पर्यायों और गुणों को एक साथ दर्पण के समान स्पष्ट जानता है, उसे केवलज्ञान कहते हैं। यह सकलप्रत्यक्ष सम्यक्ज्ञान है। इस संसार में सम्यक्ज्ञान के समान सुखदायक अन्य कोई वस्तु नहीं है। यह सम्यक्ज्ञान ही जन्म, जरा और मृत्युरूपी तीनों रोगों को विनष्ट करने हेतु प्राणी के लिए उत्तम अमृत के समान है।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]
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