17
May
दूसरी ढाल
निर्जरा एवं मोक्ष तत्त्व का विपरीत श्रद्धान और अगृहीत मिथ्याज्ञान का स्वरूप
रोके न चाह निज शक्ति खोय, शिवरूप निराकुलता न जोय।
याही प्रतीतिजुत कछुक ज्ञान, सो दुखदायक अज्ञान जान।।7।।
अर्थ – अपनी आत्मा की शक्ति को भूलकर इच्छाओं को नहीं रोकता है,इससे तप नहीं होता,तप न होने से निर्जरा नहीं होती । आकुलतारहित मोक्षसुख को नहीं मानता । यही मोक्ष तत्त्व का विपरीत श्रद्धान है। सात तत्त्वों के विपरीत श्रद्धान सहित जो कुछ ज्ञान होता हैं,वही भयंकर दुःख देने वाला अगृहीत मिथ्याज्ञान है।
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