07
Apr
आप सब देखते है कि दर्शन, ज्ञान और चारित्र के पहले सम्यक् विशेषण लगा हुआ होता है । उसके पीछे क्या कारण है, यह सर्वार्थसिद्धि में बताया है । तो आओ जानते हैं ।
दर्शन : पदार्थों के यथार्थ ज्ञान मूलक श्रद्धान का संग्रह करने के लिए दर्शन के पहले सम्यक् विशेषण दिया है ।
ज्ञान : ज्ञान के पहले सम्यक् विशेषण संशय,विपर्यय, अनध्यवसाय (विमोह) ज्ञानों का निराकरण करने के लिए दिया हैं ।
• अनिश्चित ज्ञान संशय हैं, जैसे सीप है या चांदी ।
• विपरीत ज्ञान विपर्यय है जैसे रस्सी को सांप मानना ।
• अनिश्चित तथा विकल्परहित ज्ञान अनध्यवसाय है, जैसे चलते समय पैरों से छुए हुए पत्थर को “कुछ है” इस प्रकार का ज्ञान होना।
चारित्र : चारित्र के पहले सम्यक् विशेषण अज्ञानपूर्वक आचरण के निराकरण करने के लिए दिया है ।
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