17
Aug
बाकी यही है करना,
जो अब तक नहीं किया,
कहां से शुरू करूं पता नहीं,
यही चिंतन, विचार करता हूं,
कहां से शुरू करूं जान नहीं पाया,
इसलिए भटक रहा हूं दु:ख की गहराइयों में
धर्म से शुरू करता हूं तो पाता हूं,
अधर्म से शुरू करता हूं तो खोता हूं
यह ही अंतिम करना,
जो अब तक नहीं किया
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