बच्चों… दीपावली पर्व आ रहा है। यह पर्व खुश होने और दूसरों को खुशियां देने वाला पर्व है। एक दूसरे को मुस्कान देने का पर्व है। जैन धर्म के अनुसार दीवाली भगवान महावीर का निर्वाण दिवस है, और हिन्दू धर्म के अनुसार राम जी आज के ही दिन 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या वापस आए थे, और भी 12 -15 अलग अलग कारण है जिनके लिए दीवाली पर्व मनाते हैं। आप सब ने सोच रखा होगा कि इस बार किस प्रकार से दीवाली पर्व मनाएंगे। बच्चों…आप ने जो सोचा होगा वह आप को पता है पर एक बात पर विचार करना कि आप ने जो सोच रखा है उस प्रकार से दीवाली पर्व मनाने से किसी भी प्राणी को दुख तो नहीं होगा, कोई अपंग तो नहीं होगा, किसी की मृत्यु तो नही होगी, प्रदूषण तो नही फैलेगा। अगर यह सब हो रहा है तो सोचिए….आप दूसरों को दुख देकर खुश कैसे रह सकते हो? यह दीवाली पर्व तो प्राणीमात्र के लिए खुशियों का पर्व है, क्योंकि भगवान महावीर सब पापा कर्मो नाश कर मोक्ष चले गए और दूसरी और जो प्रभु बनने वाले थे वह भगवान राम अपने सांसारिक घर लौट आए।
तो बच्चों…तुम ही बताओं की क्या पटाखे फोड़ने से खुशियां बांटी जा सकती है? हमारे पटाखे फोड़ने से लाखों पशु-पक्षी मर जाते हैं। वायु प्रदूषण होता है। पेड़-पौधों को क्षति पहुंचती है। पृथ्वी की उर्वरक शक्ति कमजोर हो जाती है। जल प्रदूषित हो जाता है।
इसका मतलब तो यह हुआ कि कुल मिलाकर पंच तत्त्व जिनके कारण हम जीवित रहते है वे हमारे कारण प्रदूषित होते हैं। तो फिर….बताओ हम कैसे स्वस्थ रह सकते हैं? तो संकल्प करो इस बार दीवाली पर पटाखे नही फोडूंगा।
पर.. अब सवाल ये है कि दीवाली कैसे मनाए जिससे कि सबको खुशियां मिलें और दूसरों को खुशी दे सकें?
तो बच्चों… यह आप को अगली पाठशाला में बताएंगे। तब तक संकल्प करो कि इस बार प्रदूषण रहित और खुशियों को देने वाली दीवाली मनाऊंगा।
अनंत सागर
3 अक्टूबर 2020, शनिवार, लोहारिया
पाठशाला
(तेईसवां भाग)
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