महासभा को अपना नया अध्यक्ष चाहिए। निर्मल जी सेठी के स्वर्गवास से एक महत्वपूर्ण जगह खाली हो गई है। इसके लिए अलग-अलग स्वर उठने लगे हैं। कौन नया अध्यक्ष बनेगा, यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्व तो यह है कि जो भी अध्यक्ष बने, वह मुनि भक्त, तीर्थ को समर्पित, जिनवाणी को समझने वाला हो। अपने जीवन में जैन संस्कृति और संस्कारों को जीने वाला हो। यह सत्य है कि मात्र महासभा ही एक ऐसी राष्ट्रीय संस्था है, जो संपूर्ण रूप से मुनि सेवा को सदैव समर्पित रही है। समाज और महासभा के पदाधिकारी अपना अध्यक्ष चुनते समय इन बातों का ध्यान रखें, तभी हम निर्मल जी सेठी को सच्ची श्रद्धांजलि दे पाएंगे। नया अध्यक्ष नया क्या कर पाएगा, यह जरूरी नहीं, पर महासभा के अस्तित्व और उसके उद्देश्यों को सुरक्षित रखना जरूरी है ।
- सकारात्मक दृष्टि रखने वाला और विवादों से दूर रहने वाला हो।
- जो पंथ में नहीं, संत में विश्वास रखने वाला हो।
- महासभा के उद्देश्यों में विश्वास रखने वाला एवं उनके प्रति दृढ़ संकल्पित हो।
- मुनि को आहार देने वाला, शास्त्र का अध्यनन करने वाला हो।
- जिसे अपने मान-सम्मान से अधिक धर्म व धर्मात्माओं के मान-सम्मान की चिंता हो।
- जो भट्टारकों और जैन मठों के प्रति समर्पित हो।
- अध्यक्ष धर्म-कर्म के लिए हो, राजनीति और मान-सम्मान के लिए नहीं।
- जो परिवार-व्यापार की तुलना में धर्म-कर्म को अधिक समय देने वाला हो।
- जैन समाज और महासभा के पदाधिकारी मुनियों और भट्टारकों से मार्गदर्शन जरूर लें कि कौन अध्यक्ष पद योग्य है।
- महासभा के उद्देश्यों से बढ़कर उसके लिए और कुछ ना हो।
- जो समाज में स्वाध्याय की परंपरा को जीवंत करे।
- आपसी राग-द्वेष को दूर रखकर आप नए अध्यक्ष का चुनाव करें।
- अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति हो, जो अन्य संस्थान में किसी पद पर ना हो ।
- पुराने नियमों को यथावत रखते हुए नई सोच से काम करने वाला हो।
अनंत सागर
अंतर्मुखी की दिल की बात
(सत्तावनवां भाग )
3 मई,सोमवार 2021
भीलूड़ा (राजस्थान )
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