29
May
पद्मपुराण पर्व 85-86 में त्रिलोकमण्डल हाथी से सम्बंधित बातें आईं हैं। उसे सुनते हैं-
जब राम, लक्ष्मण,भरत आदि देशभूषण-कुलभूषण मुनिराज के दर्शनों को गए थे, तब उनके साथ त्रिलोकमण्डल हाथी भी गया था। हाथी ने मुनिराज से अणुव्रत धारण कर चार वर्ष तक तप किया। उसने धीरे-धीरे भोजन का परित्याग करते हुए अपने तप को और उग्र किया। अंत में वह समाधिमरण कर ब्रह्मोत्तर स्वर्ग में देव हुआ। तो देखो बच्चों, तप और संयम के फल से एक हाथी को भी स्वर्ग मिल गया। बच्चों, आप सबको मनुष्य जन्म मिला है। यह मनुष्य पर्याय बड़ी कठिनाई से मिलता है, इसलिए आप अपने जीवन में कुछ ना कुछ नियम अवश्य बनाएं ताकि संभावित दुःख आदि से बचे रह सकें।
अनन्त सागर
पाठशाला
29 मई, 2021 शनिवार
भीलूड़ा
Please follow and like us:
Give a Reply