परिवार में अच्छे संस्कारों का बीजारोपण धार्मिक ज्ञान से ही होता है। धार्मिक ज्ञान के लिए आप अपने घर में स्वाध्याय की परम्परा को फिर से जीवंत करें।
पहले घर में दादी-नानी की कहानियों की गूंज होती थी, सुबह-शाम की आरती, प्रार्थना की गूंज होती थी जिसके प्रभाव से घर में चौका (मुनि के लिए आहार भोजन की तैयारी) लगता था, साधुओं की चर्या, साधना की चर्चा होती थी, जिसके कारण धर्म, साधुओं के प्रति उत्साह जाग्रत होता था, पर आज हम देखते हैं कि अब यह सब बहुत ही कम हो गया है। इसका कारण एक ही है कि आज घरों में, मंदिरों में सामूहिक स्वाध्याय की परम्परा समाप्त होती जा रही है। आज इन धार्मिक क्रियाओं की जगह वासना, भोगों की अधिक चर्चा होने लगी है। इन सब के कारण मन, वचन और काय भी दूषित होते जा रहे हैं। आज घरों में भजन की जगह गाने, महापुरुषों की जगह हीरो-हीरोइन की चर्चा होती है। उसका दुष्परिणाम आप देख रहे हैं कि आज हमारे अपने बच्चों को हमारे तीर्थंकर आदि महापुरूषों के बारे ने जानकारी नही है।
अनंत सागर
अंतर्मुखी के दिल की बात
पैतालीसवां भाग
08 फरवरी 2021, सोमवार, बांसवाड़ा
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