आप सब हनुमान जी से परिचित हैं। उनकी मां का नाम अंजना और पिता का नाम पवनंजय है। हनुमान की मां अंजना के जीवन से प्रेरणा लेने वाली कई घटनाएं हैं। उन्हीं घटनाओं में से एक घटना महिलाओं को संघर्ष से लड़ने की प्रेरणा देता है।
पद्मपुराण के पर्व-17 में एक घटना कुछ इस प्रकार है- विवाह के बाद पवनंजय और अंजना का मिलन नहीं हुआ। एक दिन परिस्थितियों के कारण गुप्त रूप से मिलना हुआ। उसके बाद पवनंजय युद्ध के लिए चले गए। अंजना और पवनंजय के मिलने की खबर माता-पिता सहित किसी भी परिजन को नही थी। कुछ समय बात अंजना को गर्भ आ गया। अंजना को कुलटा, कलंकिनी आदि कहकर सासु केतुमती ने राजमहल से निकल दिया। वह पिता के घर गई, पर वहां से भी निकाल दिया गया।
इसके बाद वह अपनी सखी बसंतमाला के साथ वन-वन घूमती रही। यह सोचते रही कि न जाने किस पाप कर्म के उदय से यह दुःख उठाने पढ़ रहे हैं। वन में ही एक गुफा में अंजना ने एक बालक को जन्म दिया। बालक के जन्म के बाद जब अंजना के पुण्य का उदय आया तो अंजना के मामा प्रतिसूर्य उसे हनुरूह दीप ले गए। वहीं बालक का जन्म उत्सव मनाया गया। यहीं पर पवनंजय अंजना का पुनः मिलन भी हुआ।
इस घटना से आज महिलाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए कि कर्म उदय से संकट, क्लेश, झगड़ा-झंझट आदि विपरीत परिस्थिति में भी स्वयं को संभाल कर रखे। आई हुई परिस्थिति से संघर्ष करना चाहिए। संघर्ष करने वाले का अंत सुखद ही होता है। ठीक उसी प्रकार जैसे अंजना को सुख भी मिला और पति पवनंजय से मिलन भी प्राप्त हुआ।
अनंत सागर
प्रेरणा
अड़तीसवां भाग
21 जनवरी 2021, गुरुवार, बांसवाड़ा
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