अनोप मंडल को लेकर समाज में आक्रोश है। समाज का आक्रोश होना ही चाहिए क्योंकि उन्होंने हमारे गुरु, शास्त्र पर आरोप लगाए हैं। यह समाज की सजगता का प्रतीक है कि हम सब आगे आए। अनोप मंडल का जिन पुस्तकों को लेकर दुष्प्रचार है, वे हमारे जैनशास्त्र थे ही नहीं। पर, इस घटना से हमें सबक लेना चाहिए कि समाज में कोई भी धर्म सम्बंधित शास्त्र, पुस्तकें लिखे तो उसका प्रकाशन होने से पहले हमारे श्रद्धेय आचार्य,साधु,आर्यिका और प्रबुद्ध विद्वान देख लें कि वह प्रकाशन योग्य है भी या नहीं। उसके बाद ही उसका प्रकाशन हो। यदि ऐसा नहीं होता है तो समाज उस शास्त्र,ग्रन्थ को स्वीकार ही नहीं करे। राष्ट्रीय स्तर पर समाज की प्रकाशन संस्था हो, उसी संस्था से प्रकाशन हो और वही मान्य हो। इससे शास्त्र, पुस्तकें शुद्धरूप में आएंगी और यह धर्म प्रभावना का काम करेगा। आज जो लिखा जाएगा, वह सालों बाद प्रमाण बन जाएगा। चाहे बाहर की हो या अन्दर की लड़ाई, हम वह शास्त्र के आधार से ही कर रहे हैं? उसका परिणाम भी देख रहे हैं। जैन धर्म में तंत्र, मंत्र, जाप का विशेष वर्णन है। जैन धर्म में तंत्र, मंत्र आदि को गुप्त रखकर आराधना करने का प्रावधान है पर इसकी चर्चा अब खुले में होने लगी है। इस पर भी संत-समाज और श्रावक समाज को विचार करना चाहिए कि खुले में चर्चा करना उचित है या नहीं? कहीं प्रभावन के चक्कर में अप्रभावना तो नहीं हो रहा है। जैन धर्म में अधिकांश प्रसंग जैन तंत्र, मंत्र आदि के हैं। धर्म, राज्य,देश पर संकट आने के समय उसके उपयोग के मिलते हैं। अपवाद से कोई एक- दो उदारण हो तो पता नहीं। जैन शास्त्र कहते हैं तंत्र,मंत्र आदि वही काम करता है जो गुरु के द्वार दिया जाता है या साधना के बल पर ऋद्धियाँ सिद्ध हो जाएं। आप सब इस विषय पर सोचना जरूर।
अनंत सागर
अंतर्मुखी के दिल की बात
31 मई 2021, सोमवार
भीलूड़ा(राज.)
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