17
Aug
महाराज जी से मिलने के बाद हमने अपनी सोच से आगे चलना और बढ़ना सीखा। उन्होंने हमें बताया कि हमें अपना रास्ता खुद बनाना चाहिए। दूसरों के बताए रास्ते पर चलने से हम एक सीमा तक ही आगे बढ़ सकते हैं लेकिन अगर हम अपना रास्ता खुद बनाते हैं तो तरक्की की नई मंजिलें छूते हैं। बस हमने उनकी इसी बात का पालन किया और हमें इसका काफी लाभ मिला है। महाराज जी के संपर्क में आने के बाद से आध्यात्मिकता के प्रति रुझान बढ़ा है। उनके कहने पर हमने भक्तामर विधान किया, जिसके सकारात्मक परिणाम मिले और इतना अच्छा लगा कि हमने इसे नियमित करने का मानस बना लिया है।
मुनीश-मोना जैन झांझरी
दूदू
ट्रस्टी – धार्मिक श्रीफल परिवार ट्रस्ट
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