देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के उन चुनिंदा नेताओं में है जिनके चाहने वाले पूरे देश में हैं, हर राजनीतिक दल में हैं और विचारधारा के हैं। इसका सबसे बड़ा कारण उनका सरल स्वभाव और अटल चरित्र था। आज उनके जीवन की एक ऐसी प्रेरणास्पद घटना की बात करते हैं जो यह बताती है कि इतने उच्च पद पर जाने के बाद भी उनका मन छोटी-छोटी बातों और घटनाओं को लेकर भी कितना उद्वेलित रहता था।
यह बात 1980 से 1981 के बीच की है। अटल जी अपने निजी सहायक शिव कुमार शर्मा के साथ कार से आगरा जा रहा था। रास्ते में उनकी कार एक भैंस से टकरा गई। कार में बैठे लोेगों को तो चोट नहीं आई, लेकिन भैंस मर गई। घटना के बाद गांव वाले इकट्ठा हो गए और हंगामा करने लगे। अटल जी और शिवकुमार शर्मा ने उन्हें समझाने का काफी प्रयास किया, लेकिन गांव वाले नहीं माने। मामला पुलिस तक पहुंचा। अटलजी भैंस के मालिक को भैस का हर्जाना देने को भी तैयार थे, लेकिन थानाधिकारी ने कहा कि वह भैंस मालिक को हर्जाना दे कर मामला खत्म कर देगा, अटल जी हालांकि खुद अपने हाथ से हर्जाना देना चाहते थे, लेकिन थानाधिकारी वह मामला सम्भाल लेगा, आप निकल जाएं। अटलजी उसकी बात मानकर वहां से आगरा निकल गए।
लेकिन अटलजी इस घटना को भूल नहीं पाए। करीब दो साल बाद उनके पास एक नेत्रहीन कवि आया और उसने कहा कि वह गणतंत्र दिवस पर लालकिले पर होने वाले कवि सम्मेलन में भाग लेना चाहता है। अटलजी ने पूछा कि वह कहां से आया है तो कवि ने कहा कि वह उसी गांव से आया है जहां उनकी कार भैंस से टकरा गई थी। इतना सुनते ही अटल जी ने कहा कि उसकी इच्छा तभी पूरा करेंगे जब वह उस भैंस मालिक को उनके पास लेकर आएगा, क्योंकि उस घटना का पाप बोध उन्हे आज भी सता रहा है और वे भैंस मालिक को हर्जाना दे कर अपनी गलती का प्रायश्चित्त करना चाहते हैं कवि उस भैंस मालिक को उनके पास लेकर आया और अटलजी ने उस भैंस मालिक को दस हजार रूपए हर्जाना दिया।
तो ऐसे थे अटल बिहारी वाजपेयी और इस सरल स्वभाव तथा निर्मल हृदय के कारण ही पूरा देश आज भी उन्हें याद करता है।
अनंत सागर
प्रेरणा
(पैतीसवां भाग)
31 दिसम्बर, गुरुवार 2020, बांसवाड़ा
‘सरल स्वभाव के अटल बिहारी’
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
(शिष्य : आचार्य श्री अनुभव सागर जी)
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