भगवान आदिनाथ ने छह विद्याओं के साथ ही मानव (पुरुष) जाति को 72 कलाओं का ज्ञान भी दिया था। आइए जानते हैं इन कलाओं के बारे में-
लेख कला
सुंदर-सुस्पष्ट लिपि लिखना एवं अपने भावों, विचारों की सम्यक अभिव्यंजना ।
रूप कला
चित्र, धूलि चित्र, सदृश चित्र, चित्र बनाने का ज्ञान ।
गणित विद्या
अंकगणित,बीजगणित एवं रेखा गणित का समावेश दृष्टव्य है ।
नाट्य कला
नाटक लिखने और खेलने का वर्णन करती कला ।
गीत कला
स्वरों का ज्ञान एवं उनके अलापने के समय व प्रभाव का ज्ञान कराती कला ।
वादित्र कला
संगीत के स्वर -भेद और ताल आदि के अनुसार वाद्यों के अनुसार वाद्यों का परिज्ञान ।
पुष्करगत कला
बाँसुरी, भेरी अथच शहनाई आदि के वादन का प्रशस्त ज्ञान ।
स्वरगत कला
षड्ज, ऋषभ,गांधार,मध्यम ,पंचम,धैवत और निषाद स्वरों ज्ञान ।
समताल कला
वाद्यानुसार हाथ-पैर-कमर की गति साधना ।
धूत कला
भूपालों को दिया जाने वाला ज्ञान,मनोविनोद का मनोज्ञ साधन धूत कला द्वारा अनेक रहस्य भी प्रकट किए जाते थे।
जनवाद कला
मनुष्य के शरीर,रहन-सहन,बातचीत,बौद्धिक स्तर और अन्नपान आदि का ज्ञान देती कला ।
प्रोक्षत्व कला
वाद्य विशेषों का ज्ञानाभ्यास ।
अर्थ पद कला
अर्थशास्त्र,अर्थात रत्न-परीक्षा और धातुवाद का सूक्ष्म विवेचन ।
उदक मृत्तिका कला
सलित किस भूमि पर है और किस भूमि पर नहीं हैं, का निर्णय मिट्टी के माध्यम से करना ।
अन्न विधि कला
पाकशास्त्र का परिपूर्ण ज्ञान करती कला ।
पान-विधि कला
विविध प्रकार के पेय पदार्थ निष्प करने की प्रक्रिया बताने वाली कला ।
वस्त्र विधि कला
वस्त्र निर्माण से जुड़े प्रत्येक पहलू का ज्ञान कराने वाली कला
शयन विधि कला
शैया,बिछौना आदि के प्रमाण करने का निखिल ज्ञान प्रदान करती विधि ।
आर्याछन्द कला
आर्याछन्द लिखने और उसके विविध प्रकारों की प्रत्येक दृष्टि से जानकारी ।
प्रहेलिका कला
पहेली बूझने की योग्यता
मागधिका कला
मागधी भाषा और साहित्य के ह्रदय को समझने की कला ।
गाथा कला
गाथा सूत्र लिखने एवं तद्गत मर्मों भावों को समझाने की कला ।
श्लोक कला
श्लोक लिखने एवं उनके अर्थ को समझाने की अनुपम विधा ।
गंध युक्ति कला
गन्धित द्रव्यों संबंधी गुण दोषों को समझने की कला ।
मधु सिक्थ कला
मोम अथवा आलता तैयार करने के विधि विधान को जाहिर करने वाली कला ।
आभरण विधि कला
तरह तरह के आभूषण निर्माण एवं धारण करने की पद्धति का ज्ञान ।
तरुणी परिकर्म कला
निखिल विश्व के अखिल प्राणियों को प्रसन्न करने की प्रक्रिया बतलाती कला ।
स्त्री लक्ष्ण कला
नारियों की जातियों तथा उनके गुण दोषों का सम्यक् रीति से परिज्ञान कराती कला
पुरुष लक्षण कला
पुरुषों की जातियों एवं गुण-अवगुणों को प्रमाणित करने वाली स्वस्थ ,अनूठी कसौटी है ।
हय लक्षण कला
घोड़ों की पहचान उनके सदोष-निर्दोष लक्षणों के आधार पर करने की सलाह देती विधा ।
गज लक्षण कला
हाथियों की जातियों व उपजातियों की सकल जानकारी देती कला।
गौ लक्षण कला
गो (कामधेनु-वर्षभ) संबंधी तमाम जानकारियों का विपुल भंडार सौंपने वाली कला ।
कुक्कुट लक्षण कला
कुक्कुटों (मुर्गा-मुर्गियों) की एक-एक नस्ल का बारीकी से वर्णन करती विधा ।
मेढ़ा लक्ष्ण कला
मेढ़ों की विशिष्टताओं अविशिष्टताओं का आमूल क्रमवार ब्यौरा प्रस्तुत करने की विधा ।
चक्र लक्षण कला
चक्र-परीक्षा एवं चक्र-संबधित विमल-अविमल रहस्यों को उद्घाटित करती कला ।
छत्र लक्षण कला
छत्र-परीक्षा तथा छत्र समन्वित सर्वोत्तम अनुसार मनुज की शांति-अशांति का परिचय प्रदत्त करने वाली कला ।
दण्ड लक्षण कला
दण्ड परीक्षा तथा दण्ड से होने वाले शुभ-अशुभ कार्यों को प्रकट करने की कला
असि लक्षण कला
असि परीक्षा की तत्सम्बन्धी शुभाशुभ संकेतों को प्रदर्शित करती विधा ।
मणि लक्षण कला
चन्द्रकान्त मणि, सूर्यकान्त मणि और नाग मणि आदि मणियों की परीक्षा का भेद-विज्ञान करती विधा ।
काकिणी लक्षण कला
सिक्कों/मुद्राओं के परीक्षण की विधिवत जानकारी प्रदान करती कला ।
चर्म लक्षण कला
शरीर के बहिरंग चिन्ह, तिल, भंवरी,मस्सा और चर्मगत स्निग्ध-रुक्षताओ द्वारा भाग्य निर्णय की सूचना देती विधा ।
चंद्र चरित कला
चंद्रमा की गति,विमान,वैभव,परिवार एवं संबंधित ग्रहणादि द्वारा शकुन अपशकुन का ज्ञान ।
सूर्य चरित्र कला
सूर्य की गति,विमान, वैभव, परिवार एवं चंद्र-चरित्र कलावत अन्य जानकारियों का खजाना भेंट करती कला ।
राहु चरित्र कला
राहु से संबंधित सकल जानकारियों को सहज ही उपलब्ध कराने वाली कला विधा ।
ग्रह चरित्र कला
सूर्य चंद्र,राहु त्रय ज्योतिष विमानों के अतिरिक्त अन्य ग्रहों की गति का ज्ञान कराती विधा
सौभाग्यकर कला
जीवन के सौभाग्यपूर्ण क्षणों की सूचना पूर्व में ही कैसे मिल सकती हैं इसकी जानकारी देती पथ प्रदर्शिका कला ।
दुर्भाग्यकार कला
अशुभ संकेतों को बताने व उनसे जीवन रक्षित करने के उपायों को बतलाने वाली मातृवत कला ।
विद्यागत कला
शाखा-ज्ञान,कब कहां कैसे करना आदि का ज्ञान देती शुभंकर कला ।
मंत्रगत कला
दैहिक,दैविक और भौतिक बाधाओं को दूर करने का वर्णन करती विधा ।
रहस्यगत कला
जादू टोने एवं टोटकों को कुशलता पूर्वक करने का वर्णन करती विधा ।
संभव कला
प्रसूति संबंधी सम्पूर्ण विज्ञान का ज्ञान कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती विधा ।
चार कला
द्रुत गति से कदम बढ़ाने,रखने की युक्ति युक्त प्रक्रिया प्रदर्शित करती विधा ।
प्रतिचार कला
रोगी की परिचर्या सेवा कब कैसे करना आदि का सौम्य ज्ञान देती विधा ।
व्यूह कला
युद्ध के समय सेना को टुकड़ियों में विभक्त कर दुर्लध्य स्थानों में स्थापित करने का ज्ञान देती कला
प्रतिव्यूह कला
शत्रु द्वारा रचना करने पर प्रतिव्यूह रचने का प्रबोध करवाती विधा ।
स्कन्धावार निवेशन कला
छावनियां बसाने की प्रक्रिया एवं सेना को अन्नपान आदि रसद प्रेषित करने का उचित प्रबंध कहाँ और कैसे करना है, इसका ज्ञान करती कला।
नगर निवेशन कला
नगर बसाने की असंख्य जानकारियां अर्पित करने वाली कला ।
स्कंधावार मान कला
छावनी के प्रमाण, लंबाई, चौड़ाई एवं अन्य प्रमाणों की जानकारी देने वाली विधा ।
नगर मान कला
कौन सा नगर कितनी लम्बाई,चौड़ाई आदि प्रमाण वाला होना चाहिए ,यह बताती विधा ।
वास्तुमान कला
भवन, प्रासाद, गृह और मंदिर के प्रमाण की सर्वोत्तम वृहद जानकारियों वाली कला ।
वास्तु निवेशन कला
सदन, प्रासाद, गृह एवं मंदिर निर्माण की समझ प्रस्फुटित करती कला ।
इष्वस्त्र कला
दुश्मन के ऊपर किस समय कौन से बाण का प्रयोग करना है,यह पाठ सिखाती विधा ।
व्यरूप्रवाद कला
असि (तलवार) शाख का व्यापक अध्ययन कराती कला ।
अश्व शिक्षण कला
घोड़ों को कैसे चलाना,दौड़ाना, छलांग लगवाना आदि की निष्प्रमाद श्रेष्ठ शिक्षा प्रदान करती विधा ।
हस्ति कला
गजों (हाथियों )को प्रशिक्षित करने के बेजोड़ तरीकों से परिचित कराने वाली कला ।
हिरण्य,सुवर्ण,मणि पाक कला
धातुवाद का बोध कराने वाली कला है ।
धनुवेन्द कला
शब्द एवं लक्ष्य भेद की अचूक शिक्षा प्रदान करने को चित्त-आदित करती विधा ।
आर्जि कला
बाहु-युद्ध, दण्ड-युद्ध, मुष्टि-युद्ध, दृष्टि-युद्ध एवं जल और युद्धातियुद्ध का ज्ञान देती कला ।
क्रीड़ा कला
सूत्र-खेल,नासिका-खेल एवं धर्म-खेल आदि बहुविध खेलों को सिखलाने वाली कला ।
छेद्य कला
पत्रच्छेद, कटकच्छेद आदि किस विधि से किया जाए इसका ज्ञान कराती कला ।
सजीव-निर्जीव कला
मृत एवं मृतप्राय: …. को जीवित करने-ग्रसित करने की अनेक प्रणालियों का ज्ञान कराने वाली साधु कला ।
शकुनरुत कला
पक्षियों की कलरव-ध्वनि आवाज को सुन शुभाशुभ शकुन,संकेतों को समझने का ज्ञान देती कला
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