अपने आपके चिंतन में डूबे रहना, धर्म के अनुष्ठानों के लिए धर्म अनुरूप किसी स्त्री से विवाह करना, धार्मिक अनुष्ठान की पूर्ति का साधन जानकर विवाह करना, शास्त्रों में आया है कि प्रतिदिन देव, शास्त्र और गुरु पूजन, स्वाध्याय आदि धार्मिक अनुष्ठानों की पूर्ति के लिए धर्मपत्नी का होना आवश्यक है। उसी दृष्टि से विवाह करना, न कि भोग, वासना की पूर्ति के लिए विवाह करना । इसे शास्त्र की भाषा में ब्रह्मचर्य अणुव्रत कहते हैं। यह श्रावक का धर्म है और मुनि तो सम्पूर्ण रूप से स्त्री का त्यागी होता है जो ब्रह्मचर्य महाव्रत का पालन करता है, क्योंकि वह अपनी आत्मा में रमण कर अपने आप को निर्मल एवं पवित्र बनाकर कर्म रहित होने का पुरुषार्थ करते हैं।
आचार्य समन्तभ्रद स्वामी ने रत्नकरण्ड श्रावकाचार में ब्रह्मचर्य अणुव्रत का स्वरूप बताते हुए कहा है कि …
न तु परदारान् गच्छति, न परान् गमयति च पापभीतेर्यत् ।
सा परदार निवृत्तिः स्वदार सन्तोष नामापि ॥ 59 ।।
अर्थात- जो पाप के भय से परस्त्रियों के प्रति न तो स्वयं गमन करता है और न दूसरों को गमन कराता है। वह क्रिया परस्त्री-त्यागरूप एवम् स्वदारसंतोष नामक ब्रह्मचर्य अणुव्रत है।
जिनके साथ धर्मानुकूल विवाह हुआ है, उन्हें स्वस्त्री कहते हैं और इनके सिवाय जो अन्य स्त्रियाँ हैं वे परस्त्रियाँ कहलाती हैं। परस्त्रियाँ, परिगृहीत और अपरिगृहीत के भेद से दो प्रकार की होती हैं। जो दूसरे के द्वारा विवाहित हैं, वे परिगृहीत कहलाती हैं और जो अविवाहित है अथवा वेश्या आदि के समान जो उन्मुक्त-स्वच्छन्द हैं, वे अपरिगृहीत हैं। ब्रह्मचर्याणुव्रत का धारीपुरुष स्वस्त्रियों को छोड़कर अन्य दोनों प्रकार की परस्त्रियों से दूर रहता है। उसका यह दूर रहना पाप के भय से होता है, राजा आदि के भय से नहीं, क्योंकि अभिप्राय पूर्वक पाप से निवृत्ति होने को ही व्रत कहते हैं। अशक्ति
अथवा किसी अन्य भय से निवृत्ति होने को व्रत नहीं कहते हैं। आचार्य समन्तभद्र ने ब्रह्मचर्याणुव्रत के लिए परदारनिवृत्ति और स्वदारसंतोष इन दो नामों का प्रयोग किया है, उससे यह भाव ध्वनित होता है कि ब्रह्मचर्याणुव्रत का धारक पुरुष देश-काल के अनुसार अपनी अनेक स्त्रियाँ हो तो उनका समागम कर सकता है, परस्त्रियों का नहीं वह अपनी स्त्रियों में ही संतुष्ट रहता है, अन्य स्त्रियों में उसकी विकार पूर्ण दृष्टि नहीं होती।
अनंत सागर
श्रावकाचार ( 65 वां दिन)
रविवार, 6 मार्च 2022, घाटोल
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