आजकल यह बहुत सुनने में आता है कि जमाना बदल गया है, जमाना बदल गया है। यह बात सनातन से चली आ रही है। एक बार इसी तरह की चर्चा आचार्य श्री शांतिसागर महाराज के सामने भी चली और लोगों ने उनसे कहा कि उन्हें अपना उपदेश देने का ढंग बदल लेना चाहिए। इस पर आचार्य श्री ने कहा कि कौन कहता है कि जमाना खराब है। जब किसी की बुद्धि खराब होती है, तो वह जमाने को खराब कहता है। जमाना तो अपनी जगह वहीं का वहीं है। जैसे सूर्य पूर्व में उगता था, आज भी उगता है, पश्चिम में अस्त होता था, आज भी होता है। आग गर्म थी, आज भी है, पानी शीतल था, आज भी है। गाय बछड़ा पैदा करती थी और स्त्री संतान, सो आज भी ये दोनों अपने कर्म करती हैं। जब किसी भी प्राकृतिक नियम में कोई अंतर नहीं आया, तो जमाना कैसे बदल गया। दरअसल आज लोगों की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। इसिलए भ्रष्टाचार, पापाचार को त्याग करने का उपदेश देना जरूरी है। कुल मिलाकर आचार्य श्री हमेशा परिस्थिति पर नजर रखकर अपने विवेक के प्रकाश में अपने नियमों और उपदेशों को ऐसे सामने रखते थे, जिससे कि लोगों को कष्ट भी न हो, उनके सिद्धांत का व्याघात न हो और लोगों को सारी बात समझ आए जाए।
30
May
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