13
Jun
चौथी ढाल
सम्यग्ज्ञान का लक्षण और समय
सम्यक् श्रद्धा धारि पुनि, सेवहु सम्यक्ज्ञान।
स्वपर अर्थ बहु धर्म जुत, जो प्रकटावन भान।।1।।
अर्थ – पहले सम्यक्दर्शन धारण करने के बाद सम्यग्ज्ञान को बढ़ाना चाहिए । क्योंकि वह सम्यग्ज्ञान अनेक धर्मो से सहित स्व और पर पदार्थों को प्रकाशित करने के लिए सूर्य के समान है । अनेक धर्मात्मक स्व और पर पदार्थों को ज्यों का त्यों जाने उसे सम्यग्ज्ञान कहते हैं ।हीं है। सब धर्मों की जड़ यही है। बिना सम्यग्दर्शन के सभी क्रियाएँ संसार भ्रमण का ही कारण है।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]
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