11
May
दूसरी ढाल
संसार भ्रमण का कारण
ऐसे मिथ्यादृग-ज्ञान-चरण, वश भ्रमत भरत दुख जन्म-मरण।
तातैं इनको तजिये सुजान, सुन तिन संक्षेप कहूँ बखान।।1।।
अर्थ – जीव मिथ्यादर्शन,मिथ्याज्ञान,मिथ्याचारित्र के वशीभूत होकर चारों गतियों में भटकता है और जन्म मरण के दुःख उठता है । इसलिए इनको अच्छी तरह जानकर छोड़ो । उन तीनों का संक्षेप में वर्णन करता हूं सो सूनो
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