18
May
दूसरी ढाल
अगृहीत-मिथ्याचारित्र का लक्षण व गृहीत मिथ्यात्व आदि के वर्णन की सूचना
इन जुत विषयनि में जो प्रवृत्त, ताको जानो मिथ्याचरित्र।
यों मिथ्यात्त्वादि निसर्ग जेह, अब जे गृहीत सुनिये सु तेह।।8।।
अर्थ – अगृहीत मिथ्यादर्शन ,अगृहीत मिथ्याज्ञान सहित पाँचों इन्द्रियों के विषयों में प्रवृत्ति (आचरण) करना अगृहीत मिथ्याचारित्र है । जो अगृहीत मिथ्यादर्शन,अगृहीत मिथ्याज्ञान और अगृहीत मिथ्याचारित्र, हैं, उनका लक्षण इस प्रकार कहा गया है,अब गृहीत मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्र का वर्णन करते हैं सो सुनिये
Give a Reply