03
Jul
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छहढाला
पांचवी ढाल
संसार भावना
चहुँगति दुख जीव भरै हैं, परिवर्तन पंच करै हैं। सब विधि संसार असारा, यामें सुख नाहिं लगारा ॥5॥
अर्थ – जीव चारों गतियों के दु:खों को भोगते हुए पाँच परिवर्तनों को करता रहता है। यह संसार हर तरह से असार है, इसमें थोड़ा भी सुख नहीं है।
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