25
May
दूसरी ढाल सारांश
इस ढाल में चतुर्गति-भ्रमण व दु:खों का निदान, सात तत्त्वों का विपरीत श्रद्धान, कुगुरु-कुदेव-कुधर्म का स्वरूप, गृहीत-अगृहीत के भेद से मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान, मिथ्याचारित्र का वर्णन विशद रूप में किया गया है। अन्त में, संसार के दन्द-फन्द को छोड़कर आत्म-स्वरूप में लीन होने की शिक्षा दी गई है।
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