सातगौड़ा की दादी आजी मां सातगौड़ा को सुबह और शाम अपने साथ जिन मंदिर लेकर जातीं। आजी मां का कहना था कि बच्चों को प्रेम से समझाना चाहिए, उन्हें कभी मारना-पीटना नहीं चाहिए और न ही उन पर क्रोध करना चाहिए । इसी वजह से वह सातगौड़ा पर कभी गुस्सा नहीं करतीं । उनके घर में मुनिराज आदिसागर अंकलीकर, देवेंद्रकीर्तिस्वामी आदि पधारते थे। आजी मां उनकी सेवा भक्ति और आहार दान से बहुत खुश होती थीं । अपनी दादी का प्रभाव सातगौड़ा के जीवन पर अत्यधिक था। सातगौड़ा के घर में सभी सुबह उठकर सबसे पहले आजी मां को प्रणाम किया करते थे। सातगौड़ा आजी मां के इकलौते नाती थे। इसलिए वह उन्हें खूब प्रेम करतीं और समझातीं कि कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। चोरी नहीं करनी चाहिए और दूसरे का उपद्रव नहीं करना चाहिए। आजी मां की वाणी बहुत मधुर थी। दुखी व्यक्ति और निर्धन परिवार को वह संकट के समय बहुत सहायता करती थीं। मेहमानों को बुलाकर उनका सत्कार करना, उन्हें बहुत प्रिय था। आजीं मां की प्रकृति इतनी उदार थी कि वह सातगौड़ा के साथ खेलने वाले बच्चों को भी उनके समान ही खिलाती थीं। आस-पास की महिलाएं भी उनसे सलाह लिया करती थीं।
22
May
Give a Reply