पद्मपुराण के पर्व अस्सी में लिखा धर्म उपदेश कोरोना काल में आत्मचिंतन के लिए बहुत उपयोगी है।
तो आओ देखते हैं क्या है यह उपदेश –
इस संसार में पूर्वकृत भाग्य उदय होने पर किसी को राज्य प्राप्त होता है तो किसी का प्राप्त किया हुआ राज्य नष्ट हो जाता है। एक ही गुरु से धर्म की संगति पाकर निदान (कारण) अथवा निदानरहित मरण से जीवों की गति अलग अलग होती है। रत्नों से पूर्णता को प्राप्त हुए कितने ही धनेश्वरी मनुष्य सुखपूर्वक समुद्र को पार करते है, कितने ही बीच में डूब जाते हैं और कितने ही तट पर आ कर डूब मरते हैं। ऐसे में बुद्धिमान मनुष्यों को सदा दया, धर्म, तपश्चरण की शुद्धि, विनय तथा आगम (स्वाध्याय शास्त्र) के अभ्यास से आत्मा का कल्याण करना चाहिए। कोरोना काल का समय भी आत्मचिन्तने करने का ही है। उसी से आत्मशक्ति बढ़ेगी।
अनंत सागर
अंतर्भाव (पचपनवां भाग )
14 मई , 2021, शुक्रवार
भीलूड़ा (राज.)