पुरानी परम्परा को पुनः शुरू करना मुश्किल तो है पर नामुमकिन नहीं। पुरानी परम्पराओं से ही शारीरिक, मानसिक और आर्थिक विकास सम्भव है। आज मानसिक तनावों से सब परेशान हैं। आपको पता होगा कि आयुर्वेदिक दवा का कोई साइट इफैक्ट नहीं पर इंग्लिश दवाई का कोई ना कोई साइट इफैक्ट अवश्य होता है। खेती से अपना जीवनयापन करना प्राचीन पद्धति है। इससे वातावरण को कोई नुकसान नहीं होता पर आज हम फैक्ट्री लगाकर जीवनयापन कर रहे हैं तो वातवरण पर असर पड़ रहा है। क्या कुछ ऐसा आप अपने जीवन में अनुभव नहीं कर रहे कि आपने स्वाध्याय (धार्मिक पुस्तकें पढ़ना) की आदत को छोड़ दिया जिसके कारण अभिषेक, पूजन, मुनियों को आहार दान जैसे पुण्य कार्यों को हम भूल गए हैं। परिवार को हमारी संस्कृति और संस्कारों का ज्ञान नहीं रहा। पहले घरों में नानी, दादी धर्म की कहानी सुनाती थी, शाम को पूरा परिवार भक्ति-पाठ करता था, पर आज वह नहीं रहा। स्वाध्याय के अभाव में पाश्चात्य संस्कृति हम पर हावी हो गई है। स्वध्याय के अभाव में हम अपनी संस्कृति को ही नहीं जान पा रहे हैं। यही कारण है कि हमारे घर, परिवार, समाज और देश पर पाश्चात्य संस्कृति हावी हो गई है।
कैसे हम स्वाध्याय की परंपरा को पुनः शुरू करें ताकि हम अपनी संस्कृति और संस्कारों को पहचान सकें और पाश्चात्य संस्कृति से दूर हो सकें। पाश्चात्य संस्कृति ने कहीं ना कहीं हमारे अंदर की मानवता को नष्ट कर दिया है।
अनंत सागर
अंतर्मुखी के दिल की बात
इक्यावनवां भाग
22 मार्च 2021, सोमवार, भीलूड़ा (राजस्थान)
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