ज्ञान

label_importantकविता

ज्ञान मेरा अपना
फिर भी नहीं है,
कब किसे आएगा
कोई नहीं जानता।
प्रतिदिन करता हूं आराधना
अपने आराध्य की
फिर भी
रिक्तहै झोली मेरी
ज्ञान की तलाश में
कहां हो रही भूल
पता नहीं,
अब एकमेव लक्ष्य
उसे ही जानना है और
ज्ञान को पाना है।

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