वर्तमान में हम देख रहे हैं की हमारे बच्चों में संस्कारों की कमी आती जा रही है। हम उन्हें आपने संस्कार और संस्कृति के बारे में नहीं बता रहे हैं और कोई बताना भी चाहता है तो बच्चे जानना नहीं चाहते हैं। आज संस्कार और संस्कृति की कमी, धार्मिक ज्ञान की कमी के कारण हमारा घर होटल जैसा बन गया है। कौन कब आ रहा है, कब जा रहा है, क्या खा रहा है ,क्या पहन रहा है, कैसे सो रहा है, हमें नहीं पता चलता। घर के हर कमरे में अलग से टी.वी.,फोन आदि के साधन है। कमरे कमरे में बाथरूम अलग अलग है।
वास्तव में देखा जाए तो घर एक होटल बन गया है। घर का रसोईघर अब किचन बन गया है। घर में जितने सदस्य है सब का अपनी अपनी पसंद का भोजन बनता है। सब के भोजन करने का समय भी अलग अलग होता है। सुबह से लेकर शाम तक रसोईघर चालु रहता है। यह होटल नही तो क्या है ? जब एक साथ भोजन नही कर सकते और एक जैसा भोजन नही कर सकते है तो सोचो तुम फिर विचार कैसे मिल सकते हैं।
घर में बैठकर एक दूसरे के सुख-दुख को शेयर नही कह सकते है उसके लिए भी बाहर जाकर दोस्तों से शेयर करते है। इसका दुष्परिणाम देखने,पढ़ने,सुनने को मिल रहा है कि बच्चे, युवा व्यसनों में पढ़ रहे है। परिवार के परिवार व्यसनों से बिखर गए है। आज हमें इन सब से बचने की आवश्कता है। हमारी आने वाली पीढ़ी को हम वर्तमान की भाष और वर्तमान की परिस्थिति को देखते हुए उन्हें धार्मिक ज्ञान दें, तभी हम हम अपने घर को घर रहने देंगे। अन्यथा घर होटल ही बनता चला जाएगा।
अनंत सागर
अंतर्मुखी के दिल की बात
(सैतीसवां भाग)
14 दिसम्बर, 2020, सोमवार, बांसवाड़ा
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
(शिष्य : आचार्य श्री अनुभव सागर जी)
Give a Reply