– शमशान में भी लोग मरनेवाले के व्यवहार की ही बात करते हैं
– परिवार में झगड़े मनमुटाव का कारण हमारा व्यवहार है
भीलूड़ा में अंतर्मुखी मुनि पूज्यसागर महाराज के प्रवचन का चौथा दिन
भीलूड़ा/सागवाड़ा/डूंगरपुर – अंतर्मुखी मुनि पूज्यसागर महाराज ने श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर भीलूड़ा में धर्मसभा को संबोधित किया। इस दौरान अंतर्मुखी मुनिश्री पूज्यसागर महाराज ने कहा कि जैसा व्यक्ति का नेचर होगा वैसा ही उसका फ्यूचर होगा।
आप अपने के फ्यूचर के जीवन-बीमा करवाते हो, बैंक में पैसा जमा करवाते हो, नौकरी करते हो, व्यापार करते हो, धर्म करते हो आदि जो भी करते हैं वह सब फ्यूचर के लिए ही करते हैं तो फिर आत्मिक शांति के लिए भी आपने नेचर को ऐसा बनाये कि दूसरों को तकलीफ ना हो।
मुनि ने कहा कि व्यक्ति की पहचान उसके धर्म, रूप, शक्ति आदि से नही होती बल्कि उसकी पहचान तो उसके व्यवहार से होती है। मुनि पूज्यसागर के मुताबिक अपने व्यवहार को बदलने वाला परमात्मा बन जाता है। नेचर को ठीक रखने वालों को फ्यूचर की टेंशन नही होती। मानव का व्यवहार ही कुछ ऐसा हो गया है कि वह खुद के व्यवहार को बदले की बजाए दूसरों के व्यवहार को बदलना चाहता है। मरने के बाद जब व्यक्ति को शमशान ले जाते है तो वहां पर लोग उसके व्यवहार की बात करते है कि वह कैसा व्यक्ति है, न कि उसके रूप, रंग या धन की।
संस्कार और व्यवहार पर बोलते हुए मुनि पूज्यसागर बोले कि बचपन में माँ-पिता बच्चों के व्यवहार पर ध्यान नही देते हैं और बाद में उसके फ्यूचर का टेंशन करने लग जाते है। अगर वह बचपन से बच्चे के अंदर करुणा, दया, प्रेम का व्यवहार संस्कार के रूप में पोषित करते रहे तो उस बच्चे का फ्यूचर इतिहास के पन्नो में लिखने लायक होता है।
महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए मुनि पूज्यसागर ने कहा कि आज हम गांधीजी को सरल, सहज और सकारात्मक सोच वाले व्यवहार के लिए याद करते है। अगर हम भी दूसरों के दिल में जगह बनाना चाहते हैं तो हमें अपना व्यवहार बदलने का पुरुषार्थ करना होगा। मानव में अपना व्यवहार कुछ इस तरह बना लिया है कि उसे लोग जानवर के नाम से भी बुला लेते है। पर कभी किसी जानवर और देव को किसी अन्य नाम से पुकारते नही देखा होगा।
परिवार की सुख शांति पर बोलते हुए अंतर्मुखी महाराज ने कहा कि सास-बहू, पिता-पुत्र, भाई-भाई में जो आज झगड़े हो रहे हैं जो मनमुटाव हो रहा है उस सबका का कारण हमारा व्यवहार ही है। हम अचानक एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं। एक दूसरे की निंदा करने लग जाते हैं। यहीं से घर की कलह शुरू हो जाती है।
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